November 10, 2025

इंदौर,,,
एयरपोर्ट रोड हादसे बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव न्दौर आये थे घायलों से मिले, पश्चात् इंदौर कलेक्टर कार्यालय में आयोजित अधिकारियों की बैठक में शामिल हुए एवं धार में आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री मोदीजी के कार्यक्रम की जानकारी पत्रकारों को दी।
इसी अवसर पर एक पत्रकार ने एयरपोर्ट रोड पर हुई घटना को लेकर सवाल उठाया सवाल का जबाब दिए बिना मुख्यमंत्री चले गए।
कुछ समय बाद इंदौर कलेक्टर शिवम् वर्मा उक्त पत्रकार को फोन करके पुंछते है कि आपने क्या सवाल पुंछा था, पत्रकार मोबाईल फोन पर अपना सवाल दोहराते हैं।
कुछेक मिनट बाद अखबार दफ्तर पत्रकार को बुलाया जाता है तथा उन्हें नोकरी पर आने से मना कर दिया जाता है।
इस तरह मप्र में मीडिया भी भाजपा सरकार के इशारे पर चल रही है।
पत्रकार इतनी बड़ी घटना पर सवाल नहीं कर सकते,, सवाल पुंछना अपराध है,बंधक बनकर यश में बनकर राग अलापते रहे तो आप नोकरी कर सकते हैं।
क्या कर रहा इंदौर का मीडिया समूह, पत्रकार समूह, कहां है संगठन, कहां है श्रम निति,,
अधिकारियों को आवाज उठाने की मनाही सेवा सिविल आचरण, जनप्रतिनिधियों को दल के अनुशासन की नकेल, विपक्षियों को आधारहीन आरोप अतः जबाब नहीं पंरतु जब मीडिया जगत सवाल करें तो उसे नौकरी से दबाब डालकर निकलवा दिया जा और मीडिया समूह भी आवाज़ नहीं उठाए,,
क्या आजादी मायने यह,,, तो यह समझे कि हम जो मीडिया में देखते सुनते और पढ़ते हैं सेंसरशिप खबरें हैं,, क्या मीडिया ईश्तेहार खातिर अपनी चमक दमक खो गया,
चलो मान लिया मालिक दबे हुए हैं लालच है पंरतु मीडिया साथी तो आवाज उठा सकते हैं,,,नोकरी कोई भीख नहीं है और देश में कानून हैं एक मिनट में नोकरी से आने से मना करना भी गलत,,,
हो सकता है मालिक बहाना ले कि उन्होंने छोड़ा मनमर्जी से छोड़ा तो भी सवाल अचानक सवाल पुंछने बाद ऐसी स्थिति क्यों आई क्या संस्थान को मप्र सरकार ईस्तेहार बंद कर देती,,,या अन्य काम रोक देती।
पत्रकार समाज की,शहर की,देश की, प्रदेश की खबर लिखते हैं और खुद की खुद के साथी की खबर से बेखबर गजब
श्रम निति की बात करते हैं संगठन की बात करते हैं तो फिर आवाज़ पुरजोर उठाइये आज एक के साथ कल आपके साथ भी होगा,,।
पत्रकारों की कलम कैसे सच्चाई बयां करेगी यह वाकया बता रहा
आपातकाल अघोषित रूप में अगर नहीं तो क्या।।।

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