महू/भगोरा। गांव भगोरा में स्थित माता अंबे का खंभ स्थापना स्थल श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां माता जी की स्थापना सन 1890 में की गई थी। यह खंभ गुजरात के पावागढ़ से बेलगाड़ी- द्वारा लाया गया था। माता अंबे की स्थापना के बाद से ही यहां नवरात्रि एवं दशहरे के उपरांत विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा चली आ रही है।
शरद पूर्णिमा पर विशेष आयोजन
हर वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन माता अंबे के दरबार में भव्य महाआरती और गरबा का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। परंपरा के अनुसार गांववासी घर का बना देसी घी अर्पित करते हैं। मान्यता है कि माता जी को चुनरी चढ़ाकर एवं दर्शन कर आशीर्वाद लेने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
राजनीतिक व सामाजिक हस्तियों की मौजूदगी
इस पावन स्थल पर राजनीति और समाजसेवा से जुड़े अनेक प्रमुख जन भी आ चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाशचंद सेठी, अंतर सिंह दरबार सहित अनेक सामाजिक व्यक्तित्वों ने यहां आकर माता जी के दर्शन कर आशीर्वाद लिया है।
गरबा आयोजन की परंपरा
समाजसेवी हुकम सिंह आंजना ने जानकारी दी कि वे पिछले 20 से 25 वर्षों से शरद पूर्णिमा के अवसर पर यहां गरबा कार्यक्रम का आयोजन करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं को जोड़ता है, बल्कि गांव की परंपरा और संस्कृति को भी जीवित रखता है।
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर माता अंबे की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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