सुप्रीम कोर्ट ने ज्योति शर्मा बनाम विष्णु गोयल मामले में स्पष्ट किया है कि चाहे किरायेदारी 50 साल तक क्यों न चले, किरायेदार संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता। किरायेदार मालिक की अनुमति से रहता है, इसलिए “प्रतिकूल कब्जे” का सिद्धांत लागू नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति पर मालिक का अधिकार बरकरार रहता है और वह कभी भी अपनी संपत्ति वापस पाने का हक रखता है। सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक के संपत्ति के अधिकार को सर्वोपरि माना है और स्पष्ट किया है कि किरायेदार का दर्जा केवल अस्थायी कब्जे का अधिकार देता है, न कि स्वामित्व का।
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