कटनी/रीठी । रीठी विकास खंड के दर्जनों स्कूलों का बिना वाउंड्रीबाल के हो रहा संचालन, बच्चों की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
बिना बाउंड्रीवाल के विद्यालयों में सुरक्षित नही शिवराज मामा के भांजे और भांजी
रेल्वे ट्रेक व कुंआ, तालाब के किनारे बिना बाउंड्री के संचालित हो रहे स्कूल, अपनी-अपनी तिजोरी भरने में लगे जिम्मेदार
*कटनी/रीठी।।* ऋषभ पाल
एक ओर जहां मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सबको शिक्षा का अधिकार देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, और सर्वशिक्षा अभियान जैसी महत्वपूर्ण योजना संचालित कर करोड़ो रूपये पानी की तरह बहाये भी जा रहे हैं। वहीं स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को प्रदेश के मुखिया द्वारा अपने भांजे और भांजी का रिश्ता बताकर तमाम व्यवस्थाओं के दावे किये जाते है। जो सिर्फ न सिर्फ जुल्मी बातें ही रह गई हैं और योजनाएं कागजी घोड़ा बनकर दौड़ लगा रहीं हैं।



हम बात कर रहे हैं कटनी जिले के रीठी विकास खंड अंतर्गत संचालित सरकारी स्कूलों की। जी हां, रीठी विकास खंड अंतर्गत संचालित दर्जनों सरकारी स्कूल बिना बाउंड्रीबाल के संचालित किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं कई विद्यालय रेल्वे ट्रेक, कुंआ, तालाबों के किनारे बिना सुरक्षा बाउंड्री के चल रहे हैं। जहां अध्ययनरत बच्चे दहशत के साये में शिक्षा ग्रहण करने मजबूर हैं। तो वहीं इस जिम्मेदारी से परहेज कर क्षेत्र के अधिकारी व जनप्रतिनिधि अपनी-अपनी तिजोरी भरने में लगे हुए हैं। तो वहीं शिवराज मामा द्वारा किये जाने वाले बड़े-बड़े दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं जो लाजमी भी हैं। आखिर विभाग द्वारा बिना बाउंड्रीबाल के विद्यालय संचालित कर नौनिहालों के साथ कैसे खिलबाड़ किया जा रहा है। कटनी जिले के रीठी विकास खंड के
शिक्षा विभाग की होश उड़ा देने वाली तस्वीरें हमारी पड़ताल में सामने आई हैं। जो सरकार द्वारा किये जाने वाले दावों की व शिक्षा विभाग में मची भर्राशाही की पोल खोल रहीं हैं।
*स्कूल के पीछे खतरनाक कुंआ*
देखा गया कि रीठी विकास खंड मुख्यालय से महज तीन किलो मीटर दूर बिना बाउंड्रीबाल के संचालित उन्नयन प्राथमिक शाला कछारखेड़ा के पीछे मात्र छः फिट दूर एक खुला हुआ खतरनाक कुंआ है। जहां पहुंचने के लिए विद्यालय का रास्ता भी है। अब ऐसी स्थिति होने के बाद भी उक्त विद्यालय में आज तक बाउंड्रीबाल की व्यवस्था नही कराई गई। जबकि उक्त खतरनाक कुंआ कभी भी नौनिहालों की जान का दुश्मन भी बन सकता है। अभिभावकों ने बताया कि बच्चों को स्कूल तो भेजते हैं लेकिन दिनभर चिंता सताती रहती है।
*रेल्वे के किनारे बिना बाउंड्रीवाल के चल रहा स्कूल*
वहीं रीठी मुख्यालय से कुल दो किलो मीटर पर संचालित शासकीय प्राथमिक शाला छोटा बरहटा का विद्यालय तो कटनी-बीना रेल खंड के सबसे व्यस्थ ट्रेक के सामने बिना बाउंड्रीबाल के चल रहा है। जहां दहशत के साये में शिक्षक बच्चों को अध्यापन कार्य कराने मजबूर हैं। यहां छुट्टी के समय भी शिक्षकों द्वारा बच्चों की निगरानी में बड़ी जिम्मेदारी निभाई जा रही है। बावजूद इसके प्रशासन की नजरें इस ओर इनायतें नहीं कर पा रहीं हैं।
*देवलिया जलाशय के सामने स्कूल*
रीठी मुख्यलय का शासकीय प्राथमिक शाला करिया पाथर देवलिया जलाशय के भारीभरकम डेम के सामने बिना बाउंड्रीबाल के संचालित हो रहा है तो वहीं कुछ दबंगों द्वारा स्कूल में बाउंड्रीबाल न होने का फायदा उठाते हुए स्कूल परिसर की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। बावजूद इसके प्रशासन उदासीन है। देखा गया कि यहां भी स्कूल परिसर के सामने नगर का भारीभरकम खुला डेम हैं। जहां बच्चों के जाने का अंदेशा बना रहता है।
*अनदेखी कर रहे जिम्मेदार*
ऐसा नहीं है कि इन विद्यालय में समय- समय पर विकास खंड के अधिकारीयों द्वारा निरीक्षण नहीं किया जाता। जबकि यह कहना गलत नही होगा कि निरीक्षण करने तो अधिकारी पहुंचते हैं लेकिन उन्हे व्यवस्थाओं से कोई सरोकार नहीं है। आंख में पट्टी बांधकर कागजी कोरम पूरा करने विद्यालय पहुंचते हैं। जबकि शिक्षकों व अभिभावकों द्वारा हो रही समस्या से अधिकारियों को अवगत कराया जाता है लेकिन जिम्मेदारों द्वारा अनदेखी की जा रही है।
