*ज्योतिषाचार्य जिया पाटीदार (कुंडली विशेषज्ञ)*
*प्रथम देवी मां शैलपुत्री* की उपासना
अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करके अपने योग साधना का प्रारंभ करते हैं
भोग – गाय का घी
*द्वितीय देवी मां ब्रह्मचारिणी* इनकी उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग ,वैराग्य ,सदाचार, संयम की वृद्धि होती है तथा उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
भोग – शक्कर
*तृतीय देवी मां चंद्रघंटा* की उपासना की जाती है इनकी उपासना करने से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते है।
भोग – दूध व दूध से बने व्यंजन
*चतुर्थ देवी मां कुष्मांडा* की उपासना से रोग शोक विनष्ट हो जाते हैं और आयु यश बल आरोग्य की वृद्धि होती है।
भोग – मालपुआ
*पंचम देवी स्कंदमाता* की उपासना से लौकिक सांसारिक माया के बंधन से मुक्त होकर समस्त इच्छा पूर्ति होती है।
भोग – केले
*षट देवी मां कात्यायनी* की भक्ति से अर्थ धर्म काम मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है और आलोकिक तेज और प्रभाव से युक्त, रोग शोक संताप भय आदि खत्म हो जाते हैं।
भोग – शहद
*सप्तम देवी मां कालरात्रि* दुश्मनों का विनाश भूत प्रेत, जादू टोना इनकी उपासना करने से खत्म होते हैं व उनके भक्त अग्नि भय जल भय शत्रु भय रात्रि भय सभी भय से मुक्त होते हैं।
भोग – गुड़
*अष्टम देवी मां महागौरी* उनकी भक्ति से पाप संताप दुःख पास नहीं आते है और सिद्धी की प्राप्ति होती है। उनकी भक्ति से पवित्र और अच्छे पुण्य का अधिकारी हो जाते हैं ।
भोग – नारियल
*नवम देवी मां सिद्धिदात्री* इनकी पूजा करने से भक्त की कोई भी कामना शेष नहीं रहती वह सभी इच्छाएं पूर्ण होती है नव स्वरुपों में मां सिद्धिदात्री अंतिम स्वरुप है
भोग – तिल व अनार
*घट स्थापना मूहूर्त*
होरा मूहूर्त सूर्य शुक्र बुध –
सुबह 6:30 से 9:30 तक
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 से 1 तक
श्री सूक्त पाठ, दुर्गा चालीसा हवन पूजन कन्या भोजन और मां के नौ दिनों के मंत्र जाप करना चाहिए।
*इसी के साथ आप सभी को हिन्दू नव वर्ष गुड़ी पड़वा व चैत्र नवरात्रि बहुत-बहुत शुभकामनाएं।**ज्योतिषाचार्य जिया पाटीदार (कुंडली विशेषज्ञ)*
नववर्ष चैत्र नवरात्रि गुड़ी पड़वा 30 मार्च 2025 को संवत 2082 शंक संवत राजा सूर्य मंत्री सूर्य इस नववर्ष नवरात्रि 8 दिवस की होगी, द्वितीय तृतीया तिथि साथ में होने से तृतीया तिथि का क्षय हुआ है
*प्रथम देवी मां शैलपुत्री* की उपासना
अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करके अपने योग साधना का प्रारंभ करते हैं
भोग – गाय का घी
*द्वितीय देवी मां ब्रह्मचारिणी* इनकी उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग ,वैराग्य ,सदाचार, संयम की वृद्धि होती है तथा उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
भोग – शक्कर
*तृतीय देवी मां चंद्रघंटा* की उपासना की जाती है इनकी उपासना करने से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते है।
भोग – दूध व दूध से बने व्यंजन
*चतुर्थ देवी मां कुष्मांडा* की उपासना से रोग शोक विनष्ट हो जाते हैं और आयु यश बल आरोग्य की वृद्धि होती है।
भोग – मालपुआ
*पंचम देवी स्कंदमाता* की उपासना से लौकिक सांसारिक माया के बंधन से मुक्त होकर समस्त इच्छा पूर्ति होती है।
भोग – केले
*षट देवी मां कात्यायनी* की भक्ति से अर्थ धर्म काम मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है और आलोकिक तेज और प्रभाव से युक्त, रोग शोक संताप भय आदि खत्म हो जाते हैं।
भोग – शहद
*सप्तम देवी मां कालरात्रि* दुश्मनों का विनाश भूत प्रेत, जादू टोना इनकी उपासना करने से खत्म होते हैं व उनके भक्त अग्नि भय जल भय शत्रु भय रात्रि भय सभी भय से मुक्त होते हैं।
भोग – गुड़
*अष्टम देवी मां महागौरी* उनकी भक्ति से पाप संताप दुःख पास नहीं आते है और सिद्धी की प्राप्ति होती है। उनकी भक्ति से पवित्र और अच्छे पुण्य का अधिकारी हो जाते हैं ।
भोग – नारियल
*नवम देवी मां सिद्धिदात्री* इनकी पूजा करने से भक्त की कोई भी कामना शेष नहीं रहती वह सभी इच्छाएं पूर्ण होती है नव स्वरुपों में मां सिद्धिदात्री अंतिम स्वरुप है
भोग – तिल व अनार
*घट स्थापना मूहूर्त*
होरा मूहूर्त सूर्य शुक्र बुध –
सुबह 6:30 से 9:30 तक
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 से 1 तक
श्री सूक्त पाठ, दुर्गा चालीसा हवन पूजन कन्या भोजन और मां के नौ दिनों के मंत्र जाप करना चाहिए।
*इसी के साथ आप सभी को हिन्दू नव वर्ष गुड़ी पड़वा व चैत्र नवरात्रि बहुत-बहुत शुभकामनाएं।*
