*इंदौर :-* शहर के विशेषज्ञ डाक्टर्स के अनुसार मोबाइल की लत, अनियमित दिनचर्या और फास्ट फूड के चलते इंदौर में 4 लाख से ज्यादा लोग हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) अथवा हाई ब्लडप्रेशर बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि अब नाबालिग और युवा वर्ग भी बड़ी तेजी से इसकी चपेट में आते जा रहे हैं। हम सभी के लिए यह रेड अलर्ट अलार्म (खतरे का सायरन) है ।
यह खुलासा आज वल्र्ड हाइपरटेंशन डे (विश्व उच्च रक्तचाप दिवस) पर इंदौर स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन डॉक्टर जीएल सोढ़ी ने किया। इनके अलावा डाक्टर माधव हसानी ने बताया कि देश या शहर की कुल आबादी का दस प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन मतलब हाइ ब्लडप्रेशर बीमारी की गिरफ्त में हैं। यह जानकारी सरकारी या निजी हॉस्पिटल के डाक्टर्स के पास इलाज के लिए आने वाले मरीजों की मेडिकल जांच के दौरान सामने आई है।
मोबाइल की गंदी लत और देर रात तक जागना मुख्य वजह
सिविल सर्जन डॉक्टर सोढ़ी ने बताया कि स्वस्थ व्यक्ति का सही ब्लडप्रेशर 80 – 120 होता है, मगर एंड्रॉइड मोबाइल और इंटरनेट की गंदी लत के चलते युवा वर्ग ही नहीं, बल्कि कई नाबालिग भी हाई ब्लडप्रेशर की चपेट में आते जा रहे हैं, क्योंकि मोबाइल की वजह से युवा और नाबालिग बहुत देर रात तक जागते रहते हैं। यह वर्ग 24 घंटे में से 16 से 18 घंटे मोबाइल या लैपटॉप चलाता है। इस कारण मोटापा सहित कई अन्य गंभीर बीमारियां धीरे -धीरे इन्हें जकड़ लेती हैं।
फास्ट फूड, बढ़ता हुआ वजन और अनियमित दिनचर्या
एंड्रॉइड मोबाइल के कारण न सिर्फ नाबालिग, बल्कि युवाओं सहित प्रौढ़ अवस्था के लोग भी अब घर पर अधिकांश समय तक लगातार मोबाइल चलाते रहते हैं। इस कारण नाबालिग जहां मैदानी खेलों से तो वहीं युवा वर्ग भी मेहनत वाले शारीरिक कार्यों से दूर होते जा रहे हैं। इस कारण न सिर्फ मोटापा बढ़ रहा है, बल्कि ब्लडप्रेशर, डायबिटीज बीमारियों का शिकंजा बड़ी तेजी से कसता जा रहा है।
हॉइपरटेंशन के नुकसान
हाई ब्लडप्रेशर (हाइपरटेंशन) को नियंत्रित न रखने से पीडि़त मरीज हृदय रोग, दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक, दृष्टिहानि (अंधत्व) का शिकार, किडनी फेल, याददाश्त कमजोर, डिमेंशिया और यौन रोग का शिकार हो सकता है।
हाई ब्लडप्रेशर के यह हैं लक्षण
सिर में लगातार दर्द रहना, अचानक खड़े होने पर चक्कर आना या बेहोशी जैसा महसूस होना, अचानक दृष्टि (नजर) धुंधली हो जाना, थोड़ी सी मेहनत करने पर थकान और कमजोरी महसूस करना, सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ होना, नाक से खून आ सकता है। इन लक्षणों का अनुभव होते ही पीडि़त को तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कांस्टेबल की भर्ती के दौरान जब युवकों की मेडिकल जांच की गई तो कई युवा हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज के शिकार निकले । इसी तरह इलाज के लिए आने वाले नाबालिगों में शामिल लगभग 10 प्रतिशत मोटे बच्चे भी इस बीमारी का शिकार निकले। यकीनन यह बहुत चिंता की बात है । इसकी वजह से शहर का युवा वर्ग और नाबालिग दिनोदिन अंदर से खोखले होतो जा रहे हैं ।
डॉ. आशुतोष शर्मा, लाल अस्पताल, इंदौर
