प्रति वर्ष चैत्र मास की नवरात्रि में यह पर्व मनाया जाता है तृतीया तिथि के 8 दिन पहले एकादशी वाले दिन से मां के ज्वारे बोये जाते हैं 8 दिन महिलाएं माता के जवारे रखे हुए मंदिर में भजन कीर्तन कर त्यौहार का आनंद लेती है नवरात्रि के तीसरे दिन गणगौर तीज के दिन सभी महिलाएं माता के रथ को तैयार करके मां के स्वरूप ज्वारे उसमें रखकर अपने घर लाती है कहा जाता है यह पर्व भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती को समर्पित है मां पार्वती इस त्यौहार पर अपने पीहर को आती है और हम सभी मां के आगमन की तैयारी करते हैं दूसरे व तीसरे दिन मां को सभी अपने-अपने घरों से लाकर एक जगह स्थान देते हैं वह उनके सम्मुख पूजन भजन झालरिया (गीत) गाकर मां को खुश करते हैं ऐसे ही चतुर्थ दिन माता का विसर्जन (मां को विदा) करते हैं। यह त्यौहार सौभाग्यवती महिलाएं अखंड सौभाग्य व कुंवारी कन्याएं अच्छे पति के लिए गोरी तीज का व्रत रखती है । इसी तरह भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती के मिट्टी के स्वरुप बनकर मां के रथ में रखे जाते हैं । नारी शक्ति समूह की ओर से ज्योतिषाचार्य जिया पाटीदार धामनोद व सारिका , मीना , कविता , सरोज , किरण, शिवानी, चंचला, वैशाली, अंकिता , रेखा , संगीता , कीर्ति , मोहिनी , दिव्या, भारती ,ललिता , विद्या, नीलम आदि ने कर्यक्रम का भरपूर आनंद लिया व कार्यक्रम को सफल बनाने पर जिया पाटीदार (ज्योतिषाचार्य) ने सभी का आभार व्यक्त किया
रिपोर्टर महू
सार्थक चौहान
