*हिन्दू नववर्ष २०८२, कालयुक्त नाम संवत्सर*
*✨30 मार्च, रविवार, गुड़ी पड़वा – हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ, चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवरात्रि का प्रारंभ।*
*कालयुक्त नाम संवत्सर राजा-सूर्य, मंत्री-सूर्य, सस्येश-बुध, धान्येश-चन्द्रमा, धनेश-मंगल।*
*कालयुक्त नामक संवत्सर का फल-*शासन व्यवस्था सुदृढ़ होगी। राजाओं में हर्ष होगा। चोर, डाकु,तस्कर, गमनकर्ता पीड़ीत होगे। वर्षा अच्छी होगी। धान्यो में वृद्धी एवं तेजी। अग्निकाण्ड होंगे। विश्व में राजनितिक*उथल-पुथल, युद्ध के हालात, राजनितिक अस्थिरता, मन्त्रियों में भय, मन्त्रीमण्डल में परिवर्तन*
*पूरे वर्ष पर्यन्त पुजन, पाठ, संकल्पादि कार्यों में कालयुक्त संवत्सर कहा जायेगा । उज्जैन एवं काशी के पंञ्चागों के अनुसार।*
*✨घट स्थापना एवं शक्ति पुजन के शुभ मुहुर्त*-
*शुभ होरा मुहुर्त -*
*सुबह 6:21 बजे से 7:22 बजे तक सूर्य की होरा*
*सुबह 7:22 बजे से 8:24 बजे तक शुक्र*
*सूबह 8:24 बजे थे 9:25 बजे तक बुध*
*घटस्थापना चौघड़िया मुहुर्त-*
*लाभ एवं अमृत – सुबह 9:26 बजे से 12:31 बजे तक*
*अभिजीत मुहुर्त – दोपहर 12:06 बजे से 12:56 बजे तक*
*नवरात्रि में शक्ति उपासना के लिये किये जाने वाले देविय अनुष्ठान — *अपने क्षेत्र के विद्वान ब्राम्हणो द्वारा दुर्गा सप्तशति, श्री सूक्त के पाठ करवाए । रामचरित मानस के पाठ करवाए। अपनी गुरु परम्परा, कुल परम्परा के अनुसार पुजन, पाठ, जाप, होम, कन्या पूजन, कन्या भोजन कराए। अपने गुरु मंत्र, इष्टमन्त्र, का जाप करे। सात्विक भाव में देवी का पुजन करे। लाल चन्दन, कनेर के पुष्प, गुलाब के पुष्पों से पुजन करे। बिल्वपत्र अवश्य चढ़ाए।*
*इस बार नवरात्र 8 दिन के ही है।*
*(नारायण विजय पञ्चांग उज्जैन के अनुसार पञ्चमी तिथी का क्षय बताया गया है।)*
*नवरात्रि में जगदम्बा का आर्शिवाद प्राप्त करने व कामनाओं की पूर्ति के लिये नौ दिन माँ जगदम्बा को अलग-अलग सामग्री का भोग अर्पण किया जाता है। एवम् उस सामग्री को दक्षिणा के साथ ब्राम्हण को दे देना चाहीये ।*
*अगर किसी तिथी का क्षय हो तो किसी भी एक तिथी पर दो भोग लगा देना चाहीये।*
*✨तिथी – भोग*
*✨प्रतिपदा – गोघृत*
*✨द्वितीया – शक्कर*
*✨तृतीया – गाय का दूध*
*✨चतुर्थी – मालपुआ*
*✨पंचमी – केला*
*✨षष्ठी- मधु (शहद)*
*✨सप्तमी – गुड़*
*✨अष्टमी- नारियल*
*✨नवमी – धान का लावा*
*देवी की प्रसन्नता के लिये सेब, अनार, अंगूर एवं अन्य ऋतुफलो का भोग लगाकर दक्षिणा के साथ ब्राम्हण को दे।*
*यह सभी भोग सामग्री माँ भगवती को अर्पण कर दक्षिणा सहीत ब्राम्हण को देनी चाहीये। तन्त्र मार्ग में दिक्षित साधक अपनी गुरु परम्परा के अनुसार साधना करे।*
*अष्टमी महानिशाकाल पुजन मुहुर्त – रात्रि 12:06 बजे से 12:52 बजे तक*
*हिन्दु नववर्ष एवं चैत्र नवरात्र की आप सभी सनातनीयों को हार्दिक शुभकामनाएँ बधाई।*
*जय माई की*
*आपका सनातनी भाई*
*पं. कपिल शर्मा*
*(काशी महाराज)*. हीरासिंह ठाकुर अब तक न्यूज़ से खास रिपोर्ट
https://www.shuru.co.in/post/256eb0a5-bec2-4bb0-a25a-1d64a20814f1?utm_source=POST&utm_medium=download&utm_origin=download_sheet&suid=54613273-1294-4ce0-b868-7a1bcaf2a7f4*हिन्दू नववर्ष २०८२, कालयुक्त नाम संवत्सर*
*✨30 मार्च, रविवार, गुड़ी पड़वा – हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ, चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवरात्रि का प्रारंभ।*
*कालयुक्त नाम संवत्सर राजा-सूर्य, मंत्री-सूर्य, सस्येश-बुध, धान्येश-चन्द्रमा, धनेश-मंगल।*
*कालयुक्त नामक संवत्सर का फल-*शासन व्यवस्था सुदृढ़ होगी। राजाओं में हर्ष होगा। चोर, डाकु,तस्कर, गमनकर्ता पीड़ीत होगे। वर्षा अच्छी होगी। धान्यो में वृद्धी एवं तेजी। अग्निकाण्ड होंगे। विश्व में राजनितिक*उथल-पुथल, युद्ध के हालात, राजनितिक अस्थिरता, मन्त्रियों में भय, मन्त्रीमण्डल में परिवर्तन*
*पूरे वर्ष पर्यन्त पुजन, पाठ, संकल्पादि कार्यों में कालयुक्त संवत्सर कहा जायेगा । उज्जैन एवं काशी के पंञ्चागों के अनुसार।*
*✨घट स्थापना एवं शक्ति पुजन के शुभ मुहुर्त*-
*शुभ होरा मुहुर्त -*
*सुबह 6:21 बजे से 7:22 बजे तक सूर्य की होरा*
*सुबह 7:22 बजे से 8:24 बजे तक शुक्र*
*सूबह 8:24 बजे थे 9:25 बजे तक बुध*
*घटस्थापना चौघड़िया मुहुर्त-*
*लाभ एवं अमृत – सुबह 9:26 बजे से 12:31 बजे तक*
*अभिजीत मुहुर्त – दोपहर 12:06 बजे से 12:56 बजे तक*
*नवरात्रि में शक्ति उपासना के लिये किये जाने वाले देविय अनुष्ठान — *अपने क्षेत्र के विद्वान ब्राम्हणो द्वारा दुर्गा सप्तशति, श्री सूक्त के पाठ करवाए । रामचरित मानस के पाठ करवाए। अपनी गुरु परम्परा, कुल परम्परा के अनुसार पुजन, पाठ, जाप, होम, कन्या पूजन, कन्या भोजन कराए। अपने गुरु मंत्र, इष्टमन्त्र, का जाप करे। सात्विक भाव में देवी का पुजन करे। लाल चन्दन, कनेर के पुष्प, गुलाब के पुष्पों से पुजन करे। बिल्वपत्र अवश्य चढ़ाए।*
*इस बार नवरात्र 8 दिन के ही है।*
*(नारायण विजय पञ्चांग उज्जैन के अनुसार पञ्चमी तिथी का क्षय बताया गया है।)*
*नवरात्रि में जगदम्बा का आर्शिवाद प्राप्त करने व कामनाओं की पूर्ति के लिये नौ दिन माँ जगदम्बा को अलग-अलग सामग्री का भोग अर्पण किया जाता है। एवम् उस सामग्री को दक्षिणा के साथ ब्राम्हण को दे देना चाहीये ।*
*अगर किसी तिथी का क्षय हो तो किसी भी एक तिथी पर दो भोग लगा देना चाहीये।*
*✨तिथी – भोग*
*✨प्रतिपदा – गोघृत*
*✨द्वितीया – शक्कर*
*✨तृतीया – गाय का दूध*
*✨चतुर्थी – मालपुआ*
*✨पंचमी – केला*
*✨षष्ठी- मधु (शहद)*
*✨सप्तमी – गुड़*
*✨अष्टमी- नारियल*
*✨नवमी – धान का लावा*
*देवी की प्रसन्नता के लिये सेब, अनार, अंगूर एवं अन्य ऋतुफलो का भोग लगाकर दक्षिणा के साथ ब्राम्हण को दे।*
*यह सभी भोग सामग्री माँ भगवती को अर्पण कर दक्षिणा सहीत ब्राम्हण को देनी चाहीये। तन्त्र मार्ग में दिक्षित साधक अपनी गुरु परम्परा के अनुसार साधना करे।*
*अष्टमी महानिशाकाल पुजन मुहुर्त – रात्रि 12:06 बजे से 12:52 बजे तक*
*हिन्दु नववर्ष एवं चैत्र नवरात्र की आप सभी सनातनीयों को हार्दिक शुभकामनाएँ बधाई।*
*जय माई की*
*आपका सनातनी भाई*
*पं. कपिल शर्मा*
*(काशी महाराज)*. सार्थक चौहान
